मकर संक्रांति: सूर्य देव की पूजा का पर्व। कई पौराणिक कथाएं।
मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार पूरे भारत और नेपाल में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। इस दिन के बाद सूर्य उत्तर की ओर बढ़ने लगता है। मकर संक्रांति एक विशेष त्योहार है जो सूर्य की गति के कारण पूरे देश में मनाया जाता है। बहुत समय पहले यह उत्सव 12 जनवरी को मनाया जाता था, तब स्वामी विवेकानन्द का जन्म हुआ था। लेकिन अब, क्योंकि कुछ वर्षों में सूर्य अलग-अलग गति से चलता है, इसलिए हम 14 या 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाते हैं। भविष्य में यह त्योहार 16 या 17 जनवरी को भी मनाया जा सकता है।
मकर संक्रांति का पर्व कई कारणों से मनाया जाता है। इसमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं:
- सूर्य का उत्तरायण होना: मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। उत्तरायण काल को देवताओं का दिन माना जाता है। इस दिन से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। इस प्रकार, मकर संक्रांति को एक नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है।
- दान का महत्व: मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग गरीबों और जरूरतमंदों को दान देते हैं।
- खिचड़ी का महत्व: मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का विशेष महत्व होता है। खिचड़ी एक पौष्टिक भोजन है, जो शरीर को गर्मी प्रदान करता है। इस दिन लोग खिचड़ी का प्रसाद बांटते हैं और दूसरों को खिलाते हैं।
- स्नान का महत्व: मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया स्नान पापों से मुक्ति दिलाता है और मोक्ष प्रदान करता है।
- सूर्य को अर्घ्य देना: मकर संक्रांति के दिन लोग सूर्य को अर्घ्य देते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- सूर्य देव की पूजा करना: मकर संक्रांति के दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं। सूर्य देव को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके सजाते हैं। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं। मकर संक्रांति के दिन लोग तरह-तरह के पकवान बनाते हैं और एक-दूसरे को खिलाते हैं।
मकर संक्रांति का पर्व एक खुशी और उल्लास का त्योहार है। यह पर्व लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है।
मकर संक्रांति के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं। इनमें से कुछ कथाएं निम्नलिखित हैं:
गंगावतरण कथा: एक पौराणिक कथा के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन ही गंगा नदी पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। भगीरथ ने कठोर तपस्या कर गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने का वरदान प्राप्त किया था। गंगा के अवतरण से पृथ्वी पर पाप का नाश हुआ और सभी जीवों को मोक्ष प्राप्त हुआ।
भगवान विष्णु की कथा: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इस अवतार में भगवान विष्णु ने एक नाव में सवार होकर ब्रह्मा और विष्णु को प्रलय से बचाया था।
धर्मराज की कथा: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन धर्मराज ने अपने पिता यमराज को पराजित किया था। इस दिन धर्मराज ने यमराज के शासन पर जीत हासिल की और सभी जीवों को मुक्ति दिलाई।
इनके अलावा, कई अन्य पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं। ये कथाएं मकर संक्रांति के महत्व और धार्मिक महत्व को दर्शाती हैं।
मकर संक्रांति का महत्व:
मकर संक्रांति का पर्व भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है। इस दिन लोग अपने नए साल की शुरुआत करते हैं। यह पर्व लोगों को एक नई ऊर्जा और उमंग देता है।
मकर संक्रांति का पर्व भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है। नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, और म्यांमार में भी मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
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