कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न: एक तीर से दो निशाने
भारत सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को आज (23 जनवरी, 2024) को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यह घोषणा उनके 100 वे जन्मदिवस पर की और काफी समय से कई लोग भारत रत्न पुरस्कार कर्पूरी ठाकुर को देने की मांग कर रहे थे.
कर्पूरी ठाकुर बिहार के सबसे लोकप्रिय और सम्मानित नेता थे। वे दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं। उन्होंने बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू की। उन्होंने ही सबसे पहले बिहार में शराबबंदी भी लागू की थी। वे बहुत ही सरल एवं ईमानदार व्यक्ति थे। वे एक कुशल प्रशासक और लोकप्रिय नेता थे। जब उनका निधन हुआ तो बिहार में एक लंबे समय तक शोक की लहर थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह बिहार के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि वे एक महान समाजसेवी और देशभक्त थे। कर्पूरी ठाकुर के भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर बिहार और देशभर में खुशी की लहर है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह बिहार के लिए वाकई बहुत बड़ी गर्व की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि वे वास्तव में एक अच्छे इंसान थे जिन्होंने बहुत से लोगों की मदद की और अपने देश से बहुत प्यार करते थे।
कौन थे कर्पूरी ठाकुर:
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले में पितौंझिया नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता गोकुल ठाकुर एक किसान थे और अपने पारंपरिक पेशा नाई का काम करते थे। उन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई समस्तीपुर के बीएन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कर्पूरी ठाकुर ने अपनी राजनीतिक यात्रा तब शुरू की जब वे छात्र थे। वह ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन नामक एक समूह में शामिल हो गए और भारत छोड़ो नामक आंदोलन में भाग लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 26 महीने तक जेल में रहना पड़ा।
आज़ादी की लड़ाई में कर्पूरी ठाकुर का योगदान :
कर्पूरी ठाकुर भारत की आज़ादी की लड़ाई में एक बहुत ही महत्वपूर्ण नेता थे। वह अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते थे और बिहार में एक प्रतिष्ठित नेता बन गये। उन्होंने अपना जीवन निष्पक्षता और स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने बहुत से लोगों से बात की और लोगों को न्याय के महत्व को समझाने में मदद करने के लिए ब्रिटिश शासकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए। वह देश की आजादी की लड़ाई में बहुत सक्रिय थे। कर्पूरी ठाकुर ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर ब्रिटिश शासकों के खिलाफ सत्याग्रह, असहमति और अनशन जैसे आंदोलनों में भाग लिया। उन्होंने गांधीजी के साथ मिलकर बिहार के लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ जागरूक किया और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया और उन्हें स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।
“जननायक” उपाधि
वे 1952 से लेकर 1992 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे। उन्होंने कई वर्षों तक सरकार में काम किया और बिहार के लोगों के लिए निर्णय लेने में मदद की। उन्होंने 1967 और 1971 में बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।वर्ष 1992 में कर्पूरी ठाकुर का निधन हो गया। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने बिहार में बहुत से लोगों की मदद की और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। वह लोगों द्वारा प्रसिद्ध और सम्मानित थे और उन्हें “जननायक” नामक एक विशेष उपाधि भी दी गई थी। वे भारतीय राजनीति में एक बहुत ही सक्रिय व्यक्ति थे। भले ही वह अब जीवित नहीं हैं, लेकिन लोग आज भी उनके द्वारा किए गए अच्छे कामों को याद करते हैं और उनके बारे में बात करते हैं।उन्होंने किसानों और गरीब लोगों के लिए चीजों को बेहतर बनाने के लिए बहुत काम किया। उन्होंने उन्हें बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पानी उपलब्ध कराने में मदद करने जैसे काम किए।
देश आजाद होने के बाद कर्पूरी ठाकुर को बिहार विधानसभा का सदस्य चुना गया। उन्होंने 1967 में उप मुख्यमंत्री के रूप में शुरुआत की और फिर 1970 में मुख्यमंत्री बने।
कर्पूरी ठाकुर ने कुछ बहुत महत्वपूर्ण कार्य किये।
- बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू की।
- उन्होंने सबसे पहले बिहार में शराब की बिक्री बंद करने का भी फैसला किया।
- उन्होंने बिहार में स्कूलों और अस्पतालों को बेहतर बनाने के लिए काम किया।
- उन्होंने बिहार में खेती और कारोबार को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया।
कर्पूरी ठाकुर बिहार के बहुत प्रसिद्ध और सम्मानित नेता थे जिन्होंने बिहार को बेहतर बनाने में मदद की और उन्हें “जननायक” नामक एक विशेष उपाधि भी दी गई थी।
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